Saturday 22 July 2017
22 जुलाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को भारत के संविधान द्वारा अपनाया (अंगीकृत) गया था। 'तिरंगा' भारत का राष्ट्रीय ध्वज है जो तीन रंगों से बना है इसलिए हम इसे तिरंगा कहते हैं। झंडे की चौड़ाई और लम्बाई का अनुपात 2:3 है। सफ़ेद पट्टी के केंद्र में गहरा नीले रंग का चक्र है, जिसका प्रारूप अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थापित सिंह के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले चक्र की भांति है। चक्र की परिधि लगभग सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है। चक्र में 24 तीलियाँ हैं।
सन 1908 में सर भीकाजी कामा ने जर्मनी में तिरंगा झंडा लहराया और इस तिरंगे में सबसे ऊपर हरा रंग था, बीच में केसरिया, सबसे नीचे लाल रंग था। इस झंडे में धार्मिक एकता को दर्शाते हुए; हरा रंग इस्लाम के लिए और केसरिया हिन्दू और सफ़ेद ईसाई व बौद्ध दोनों धर्मों का प्रतीक था। इस ध्वज में भी देवनागरी में वंदे मातरम् लिखा था और सबसे ऊपर 8 कमल बने थे। इस ध्वज को भीकाजी कामा, वीर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा ने मिलकर तैयार किया था। प्रथम विश्व युद्ध के समय इस ध्वज को बर्लिन कमेटी ध्वज के नाम से जाना गया क्योंकि इसे बर्लिन कमेटी में भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा अपनाया गया था।
यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त भारत के एक क्रान्तिकारी थे जिन्होने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष किया। ब्रितानी पुलिस ने उन्हें अनेकों बार गिरफ्तार किया। उनकी मृत्यु जेल के अन्दर ही हुई। उनकी पत्नी नेली सेनगुप्त, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं।
जब दिल की गहराइयों से निकलकर रूह तक पहुंच जाने वाली आवाज की बात चलती है तो बस मुकेश का जिक्र होता है. अमर गायक मुकेश हमारे बीच तो नहीं हैं, लेकिन उनके गाए गीत आज भी करोड़ों दिलों की धड़कनों में बसे हैं.
Thursday 20 July 2017
Tuesday 18 July 2017
Saturday 15 July 2017
एन एस राजहंस बालगंधर्व को कला के क्षेत्र में सन १९६४ में भारत सरकार द्वारा, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ये महाराष्ट्र राज्य से हैं। |
Thursday 6 July 2017
आर्थिक तंगी के कारण हाई स्कूल की पढ़ाई छोड़नी पड़ी जेब खर्चे के लिए "भजिये की दुकान लगाया करते" थे |
लुइ पास्टर ने "रेबीज़ के ठीके का परिक्षण" किया |
दलाई लामा चौदहवे गुरु है जिसका अर्थ होता है "ज्ञान का महासागर" और उनका असली नाम तेनजिन ग्यात्सो है |
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ख्यात शिक्षाविद, चिंतक व् भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे |
Subscribe to:
Posts
(
Atom
)